डाॅ. विपुल कीर्ति शर्मा
प्यार के इज़हार के मामले में भद्र पुरुष विनम्रता पूर्वक बातें करते हैं। किंतु जब मामला पौधों-वृक्षों पर रहने वाले झिंगुरों का हो तो नर मादा को आकर्षित करने के लिए उन्हें ऊंचाई पर स्थित पत्तियों के किनारों पर बैठकर जोर-जोर से प्रेमालाप करना पड़ता है। जोरदार प्रेमालाप बड़े नर और उनके अच्छे स्वास्थ की निशानी मानी जाती है। इससे मादा बगैर वक्त गवाएं जोर से चिल्लाने वाले नरों की ओर आकर्षित हो जाती है।इज़हारे इश्क के इस तरीके में सबसे ज्यादा नुकसान उन नरों को होता है जो छोटे आकार के होते हैं। उनकी कमजोर पुकार से मादा उनकी ओर आकर्षित नहीं होती। वे केवल तभी जीत सकते हैं, जब वे छल या धोखेबाजी से जोर से पुकार कर स्वयं को बड़ा और स्वस्थ होने का प्रदर्शन करें। आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है। तो ऐसे में कुछ प्रजातियों के नर झिंगुरों ने पत्तियों के मध्य में पंख के आकार का छेद करके अपनी आवाज को लाउड स्पीकर जैसी तीव्रता देना सीख लिया है। ‘ओकेन्थस हेनरी’ (ओ. हेनीरी) नामक प्रजाति के झींगुर के छोटे नर इस युक्ति से अपनी आवाज की तीव्रता को दोगुना करके अपने प्रेमालाप में उतने ही सफल पाए गए हैं, जितने बड़े नर होते हैं।यह बात हाल ही में बैंगलोर के नेशनल सेंटर फाॅर बायलाॅजिकल साइंस इवॉल्यूशनरी में कार्यरत इकोलाॅजिस्ट ऋतिक देब और टीम के प्रोसिडिंग्स आॅफ राॅयल सोसायटी बी में प्रकाशित शोध पत्र से सामने आई है।झींगुरों द्वारा पत्तियों में छेद करके उसे लाउड स्पीकर्स के समान उपयोग करना जीव वैज्ञानिकों को साल 1975 से ज्ञात था। लेकिन ऐसे चौंकाने वाले व्यवहार को वैज्ञानिक भ्रामक समझकर इससे मिलने वाले लाभ को नहीं समझ पा रहे थे। पत्तियों को लाउड स्पीकर्स की तरह उपयोग करने वाले नरों के बीच समानता खोजकर इस रहस्य से पर्दा उठाने का कार्य ऋतिक देब और शोध टीम ने प्रारंभ किया। बैंगलोर शहर के दूर बीहड़ में टीम ने 463 में से केवल 25 नरों को भ्रामक तरीके से ऊंची आवाज देते पाया। यह कुल नरों का केवल 5 प्रतिशत था। सभी नरों में एक ही समानता थी कि वे छोटे आकार के थे और जब छेद युक्त पत्ती का उपयोग नहीं करते थे तो बड़ी धीमी आवाज निकाल पाते थे। किंतु पत्तियों में छेद करके ये अपनी आवाज को उतना तेज कर लेते थे, जितना आकर्षक नर कर लेते थे। झींगुर के पंख ही वास्तव में प्रतिध्वनि उत्पन्न करने वाली संरचनाएं होती हैं। दोनों पंखों के बीच घर्षण वैसे ही कंपन उत्पन्न करता है, जैसे कोई सारंगी बजा रहा हो। जब छोटे नर अपने पंखों को पत्ती के छेद में सही तरीके से जमाकर कंपन उत्पन्न करते हैं तो लाउड स्पीकर्स के समान आवाज तेज हो जाती है। यही नर झिंगुरों का प्रेमालाप या प्रणय निवेदन होता है जिससे वे मादाओं को आकर्षित करते हैं।

शोध का अगला कदम यह जानना था कि क्या वाकई छल का उपयोग करके आवाज उत्पन्न करने से छोटे नर मादा को आकर्षिक कर पाते हैं? शोध के निष्कर्ष यही बताते हैं कि छोटे नर इसमें सफल हो पाते हैं। ऐसा करके छोटे नर बड़े नरों के समान मादाओं के लिए आकर्षण का केंद्र हो जाते हैं।बड़े नरों को छोटे नरों से कोई ईष्र्या नहीं होती है, क्योंकि उन्हें तो प्रेमिकाओं का साथ सामान्य रूप से मिल जाता है किंतु छोटे नरों के लिए यह रणनीति बेहद कारगर होती है। तो प्रश्न उठता है कि क्यों केवल पांच प्रतिशत ही नर छल का उपयोग करते पाए गए हैं? उनकी संख्या तो ज्यादा हो सकती है। शायद इसके पीछे कारण यह है कि छोटे नरों को प्रणय निवेदन करते समय बड़ी पत्तियों का उपयोग करना पड़ता है। ऐसे में वे शिकारियों की नजर में आ जाते हैं और अधिकांश प्यार का इजहार करते समय मारे जाते हैं। अधिकांश नरों के बलिदान के बावजूद कुछ नर प्रणय में सफल रहते हैं।