
मनीष धेप्ते, ब्यूरो प्रमुख
उज्जैन। सावन माह में तीसरी बार राजाधिराज बाबा महाकाल तीसरी बार अपनी प्रजा का हाल जानने निकले। इस श्रावण के तीसरे सोमवार पर हरियाली अमावस्या और सोमवती अमावस्या का संयोग हैं। उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर में भगवान शिव की भस्मारती के बाद उनका विशेष श्रृंगार किया गया। इसके अलावा प्रदेश के ओंकोरश्वर-ममलेश्वर ज्योर्तिलिंग और मंदसौर के पशुपतिनाथ मंदिर में भी भोलेनाथ की विशेष आरती हुई।
उज्जैन में महाकालेश्वर की तीसरी सवारी में भी लॉकडाउन के कारण सीमित संख्या में ही भक्तगण शामिल हो सके। इनमें अधिकांश पुजारीगण, प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी थे। श्रावण मास में महाकाल मंदिर में बड़ी संख्या में भक्त आते हैं लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से सीमित संख्या में भक्तोंं को दर्शन की अनुमति दी जा रही है। वहीं मंदिर समिति ने फिलहाल मध्य प्रदेश के भक्तों को ही मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी है।
शिवतांडव रूप में भी दिए दर्शन
बाबा महाकाल को नगर भ्रमण के पहले गार्ड ऑफ आनर दिया गया। तीसरी सवारी में बाबा महाकाल भगवान ने मनमहेश, चंद्रमौलेश्वर के साथ शिवतांडव रूप में प्रजा को दर्शन दिए। महाकाल मंदिर से शाम 4 बजे शाही ठाठबाट के साथ महाराजाधिराज की सवारी नगर भ्रमण के लिए रवाना होकर शिप्रा के रामघाट पहुंची। यहां पुजारी ने प्रभु का शिप्रा जल से अभिषेक-पूजन किया। पूजन के बाद सवारी रामानुजकोट, हरसिद्धि मंदिर के सामने से बड़ा गणेश होते हुए वापस महाकाल मंदिर पहुंची।
शिप्रा घाट पर स्नान की मनाही
शिप्रा नदी के घाटों पर कोरोना संक्रमण के मद्देनजर इस बार हरियाली अमावस्या पर स्नान पर सख्ती से रोक लगा दी गई थी। आज ही सावन सोमवार और महाकाल की तीसरी सवारी का दिन होने के कारण हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं के आने की संभावना थी।
कोटितीर्थ घाट पर ओंकारेश्वर महादेव का महाभिषेक
प्रदेश में ज्योतिर्लिंग भगवान ओंकारेश्वर और ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग की सवारी निकाली गई। कोटितीर्थ घाट पर भगवान ओंकारेश्वर की पंचमुखी रजत प्रतिमा का महाभिषेक किया गया। वहीं ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान के मूल स्वरूप का महाश्रृंगार किया गया। कोरोना संक्रमण के कारण ओंकारेश्वर महादेव की सवारी में किसी भी बाहरी श्रद्धालु का प्रवेश प्रतिबंधित किया गया था, इसलिए सीमित संख्या में ही भक्तगण शामिल हो सके।